Thursday, July 17, 2025
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विधानसभा में गरजा विपक्ष: प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा पर सरकार को घेरा, सदन में हंगामा

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) और मनरेगा भुगतान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, जिसके जवाब में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के साथ बहस इतनी तीव्र हो गई कि सदन में हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो गई।

डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दिव्यांगों और अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित कोटे की उपेक्षा की जा रही है। उन्होंने सरकार से यह स्पष्ट करने की मांग की कि वास्तव में कितने प्रतिशत पात्र लाभार्थियों को योजना का लाभ मिला है।

इस पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा, “दिव्यांगों को 5% और अल्पसंख्यकों को 14% प्राथमिकता के आधार पर लाभ दिया जा रहा है। योजना में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है।”

महंत ने पलटवार करते हुए पूछा, “क्या उन जिलों के कलेक्टरों पर कार्रवाई होगी जहां गड़बड़ी और पैसों के लेन-देन की शिकायतें मिली हैं?” जवाब में विजय शर्मा ने कहा, “अगर आपके पास ठोस प्रमाण हैं तो सौंपें, हम निष्पक्ष जांच कराएंगे। हमारी सरकार सुशासन के सिद्धांतों पर काम कर रही है।”

इसके बाद डॉ. महंत ने मनरेगा योजना की स्थिति पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि कई जिलों में अब तक मजदूरी का पूरा भुगतान नहीं हुआ है। बीजापुर जिले का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां केवल 38% भुगतान ही हुआ है। उन्होंने पूछा, “क्या सरकार मजदूरों की बकाया राशि का शीघ्र भुगतान सुनिश्चित करेगी?”

विजय शर्मा ने जवाब में कहा, “30 जून तक अधिकतर भुगतानों का निपटान कर दिया गया है। जहां भुगतान लंबित हैं, वहां जांच जारी है। अगर विपक्ष के पास कोई अतिरिक्त जानकारी या दस्तावेज हैं तो सरकार के साथ साझा करें।”

विवाद उस समय और गहरा गया जब उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने डॉ. महंत पर पलटवार करते हुए कहा, “आप मुझ पर जनता को गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं, जबकि आपकी ही सरकार के कार्यकाल में प्रधानमंत्री आवास योजना की कई फाइलें लंबित रहीं। मेरे पास पत्र हैं, जिनमें आपने खुद योजना से इनकार किया था।”

इस बयान पर कांग्रेस विधायकों ने तीव्र आपत्ति जताई और सदन में जोरदार हंगामा शुरू हो गया। स्थिति को संभालने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा और सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए स्थगित करनी पड़ी।

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