अजय श्रीवास्तव गरियाबंद /रायपुर | शासकीय नौकरी प्राप्त करने के लिए अभ्यर्थीगण किसी भी हद तक पहुंच जाते हैं, जिसका जीता जागता उदाहरण पूर्ववर्ती रमन सरकार के समय हुई हर वर्ग के शिक्षाकर्मियों भर्ती में भारी अनियमितता बरती गई थी। लेकिन कई वर्षों तक आर्थिक लाभ उठाकर सरकार को नुक्सान पहुंचाने वाले फर्जी तरीके से बने शासकीय शिक्षाकर्मियों को जेल की रोटियां तोड़ने का मौका गरियाबंद न्यायालय के न्यायाधीश महोदय ने उन्हें दे दिया है।
बता दें कि, गरियाबंद जिले में उसके सभी पांच विकासखंडों में हुई शिक्षाकर्मियों की भर्ती के समय विद्यार्थियों के द्वारा किए गए फर्जीबाड़े की जानकारी आरटीआई के जरिए हुए बड़ी संख्या में हुई फर्जी नियुक्तियों की जानकारी के बाद धमतरी जिले के रहने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता प्रार्थी कृष्ण कुमार ने मैनपुर थाने में FIR दर्ज करवाई थी कि 2008-9 में शिक्षाकर्मी चयन के दौरान कुछ लोगों ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल की थी। इस मामले में शिकायत होने के बाद जांच की गई तो जिन्हें सही पाया गया और 11 शिक्षाकर्मियों ने B.ED, D.ED के फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे शासकीय शिक्षाकर्मियों की नौकरी कर रहे थे।
इस शिकायत पर गरियाबंद जिले में शिक्षाकर्मियों के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया
प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने फैसला सुनाते हुए 11 शिक्षाकर्मियों को 3-3 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार ने सभी आरोपियों पर 1-1 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बता दें कि, प्रार्थी कृष्ण कुमार ने मैनपुर थाने में FIR दर्ज करवाई थी कि 2008-9 में शिक्षाकर्मी चयन के दौरान कुछ लोगों ने फर्जीवाड़ा कर नौकरी हासिल की थी।
इस मामले में शिकायत होने के बाद जांच की गई तो उसमे पाया गया कि, शिकायत सही है और 11 शिक्षाकर्मी B.ED, D.ED के फर्जी प्रमाण पत्र से नौकरी कर रहे थे। इसके बाद प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट प्रशांत कुमार देवांगन ने इस मामले में फैसला सुनाया और सभी आरोपियों को सजा सुनाई है। हम आपको बता दें कि कृष्ण कुमार ये वही शख्स है जिन्होंने रमनसिंह सरकार के समय 350 लोगों की फर्जी शिक्षाकर्मियों नियुक्तियों को निरस्त करवाते हुए शासन को आर्थिक नुकसान से लाभ दिया था।